डेरिवेटिव मार्केट क्या ?-:विदेशों के डेरिवेटिव बाज़ार की तरह आज हमारे देश भारत में भी डेरिवेटिव बाज़ार बहुत तेजी से आगे जा रहा है सन 2000 में डेरिवेटिव मार्केट की शुरूवात तब से लेकर आज तक इसकी लोकप्रियता बहुत ज्यादा या तो कई गुना बड गई है नेशनल स्टॉक एक्सचेंज में कैश सेगमेंट की तुलना में डेरिवेटिव सेगमेंट में बहुत ज्यादा मात्रा में ट्रेडिंग होती है |
तो आज के इस लेख में जानेगे की ये डेरिवेटिव होता क्या है आसन से सरल भाषा में |
डेरिवेटिव मार्केट क्या है
डेरिवेटिव मार्केट को एक उद्धारण के द्वारा इसे समझते है |
मान लिजिय A नाम का एक मेरा दोस्त है और वो फुटबॉल मैच देखने का बहुत शोकीन है | तो वह फीफा वर्ल्ड कप का फाइनल मैच का टिकट लेने गया पर वहा जाने के बाद उसे पता चला की सारी टिकट बिक चुकी है |
और वह वापस जाने लगता है तो उसे वह उसका दोस्त मिलता है जो फीफा वर्ल्ड कप के आयोज़क के बड़े पद पर रहता है |तो A उससे टिकट के लिया निवेदन करता है मैच 15 मार्च को होना था और 5 मार्च को सारे टिकट बिक जाने के कारण उसका दोस्त उसे एक लेटर देता है और उसे बोलता है की इस लेटर को दिखा कर तुम एक टिकट खरीद सकते हो एक टिकट का मूल्य बीस हज़ार रूपए था |
और A वह लेटर ले के चला गया फिर जैसे जैसे मैच नजदीक आने लगा वैसे वैसे ग्रे मार्केट में उस टिकेट का मूल्य बढते चला गया 10 मार्च को टिकट का मूल्य 25000/- (पचीस हजार) हो गया |
पर भले ही टिकट का मूल्य बढते बढते 25000/- (पचीस हजार) हो गया हो पर A अभी भी उस लेटर को दिखा कर 20000/- (बीस हज़ार) रूपए में टिकट खरीद सकता था |
इस तरह लेटर के कारण A 5000/- (पांच हजार ) प्रॉफिट पर है इसका मतलब अब लेटर की वैल्यू अब 5000/- (पांच हजार ) हो गई | अब मैच के एक दिन पहले ग्रे मार्केट में टिकट की वैल्यू 30000/- (तीस हजार ) हो गई |
तो अब उस लेटर की वैल्यू 10000/- (दस हजार ) हो गई |पर अचानक A का तबियत बिगड़ जाता है और वह हॉस्पिटल पर एडमिट हो जाता है एडमिट होने के कारण अब वह ना टिकट खरीद पाता है और ना ही लेटर सेल कर पाता है |
तो जैसे ही 15 मार्च को मैच खत्म हो जाता है वैसे ही A को अपने दोस्त से मिले लेटर की वैल्यू सीधे शुन्य हो जाती है यह बस एक उद्धारण था आपको समझाने के लिये तो हमें यहाँ ये पता चलता है की डेरिवेटिव एक कॉन्ट्रैक्ट है जिसकी वैल्यू अंडर लाइन एसेट से डीराइव होती है | यहाँ पर लेटर कोई प्रोडक्ट नही है बस एक कॉन्ट्रैक्ट है जिसका उसे करके A टिकट खरीद सकता है |
इससे यह पता चलता है की लेटर की कोई डायरेक्ट वैल्यू नही है उसकी वैल्यू टिकट वैल्यू के उप्पर निर्भर है |इसी लिये इसमें अंडरलाइंग एसेट (UNDERLYING ASSET) है टिकट और उसका डेरिवेटिव (DERIVATIVES)
है A के दोस्त द्वारा दिया गया लेटर | क्योंकि उस लेटर की वैल्यू टिकट मूल्य से डिराइव किया गया है |
डेरिवेटिव कांट्रेक्ट की एक्स्पाएरी डेट भी होती है जैसे 15 मार्च को मैच खत्म होने के बाद उस लेटर के वैल्यू कुछ नही होगी इसका मतलब 15 मार्च हुवा उस लेटर के एक्स्पाएरी डेट | तो हमने देखा डेरिवेटिव मार्केट में डेरिवेटिवकॉन्ट्रैक्ट कैसे काम करते है |
अब अगर हम डेरिवेटिवमार्केट की बाहर की बात करे तो डेली लाइफ में इस्तेमाल करने वाले सामान में भी बहुत सारे डेरिवेटिवहै जैसे पेट्रोल और डीजल है क्रूड आयल के डेरिवेटिवऔर क्रूड आयल है इनका अंडरलाइंग एसेट (UNDERLYING ASSET) पेट्रोल और डीजल का दाम क्रूड आयल से अलग है पर दोनों का दाम क्रूड आयल पर निर्भर है का दाम अलग है तो इससे हमें यह पता चलता है की डेरिवेटिव की वैल्यू अंडरलाइंग के साथ बदलती है |इसलिए जब क्रूड आयल के दाम बढते है तो उसके साथ पेट्रोल और डीजल के भी दाम बढते है |
अगर कोई अंडरलाइंग एसेट कोई कमोडिटी है जैसे कॉपर ,गोल्ड ,सिल्वर कॉटन,क्रूडआयल और भी बहुत कुछ है तो उसे कोमोडिटी डेरीवेटिव कहते है |
और अगर कोई अंडरलाइंग एसेट शेयर ,इंडेक्स या करेंसी है तो उसे फाइनेंसियल डेरीवेटिव कहते है|
डेरीवेटिव कितने प्रकार के होते है -: Type Of Derivative
डेरीवेटिव चार प्रकार के होते है -:
1-Forward
2-Future
3-Options
4-Swap
ये चार प्रकार के डेरीवेटिव होते है इसमें सबसे ज्यादा फ्यूचर और आप्शन पॉपुलर है जिसे हम F&O के नाम से भी जानते है |
दोस्तों कैसे लगा यह लेख कमेंट करके बतिएगा और अगले लेख में हम जानेगे फ्यूचर और आप्शन क्या है ||